JACK MA BIOGROPHY AND SUCESS IN HINDI 2020

JACK MA BIOGROPHY AND SUCESS IN HINDI 2020


हार्वर्ड ने 10 बार किया था इन्हें रिजेक्ट, पर हार नहीं मानी, आज दुनिया करती है सलाम


दुनिया में रोज बहुत सारे लोग नौकरी से निकाले जाते हैं या नौकरी पाने के लिए कंपनियों के दरवाजे खटखटाते हैं, उनमें से कुछ लोगों को नौकरी मिलती है और कुछ को नहीं. 


लेकिन दुनिया में कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो नौकरी न मिलने पर खुद की कंपनी खोलने के बारे में सोचते हैं. इन्हीं लोगों में से एक जुनूनी, मेहनती, काम करने के लिए एक हद तक पागल व्यक्ति का नाम जैक मा है जो चीन के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं.


JACK MA.........



राम नाथ कोविंद का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला), तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में  1 अक्टूबर 1945 को   हुआ था. 


कोविंद का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है.

साहित्य की लगभग सभी विधाओं में पारंगत नेपाली की पहली कविता 'भारत गगन के जगमग सितारे' 1930 में रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा संपादित बाल पत्रिका में 


प्रकाशित हुई थी। पत्रकार के रूप में उन्होंने कम से कम 4 हिन्दी पत्रिकाओं- रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी का संपादन किया।

रामधारी सिंह 'दिनकर भी उनके  मुरीद हुए 


युवावस्था में नेपालीजी के गीतों की लोकप्रियता से प्रभावित होकर उन्हें आदर के साथ कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा। उस दौरान एक कवि सम्मेलन में राष्ट्रकवि रामधारी


 सिंह 'दिनकर' उनके एक गीत को सुनकर गद्गनद् हो गए। वह गीत था-



सुनहरी सुबह नेपाल की, ढलती शाम बंगाल की

कर दे फीका रंग चुनरी का, दोपहरी नैनीताल की



क्या दरस-परस की बात यहां, जहां पत्थर में भगवान है

यह मेरा हिन्दुस्तान है, यह मेरा हिन्दुस्तान है...

पत्नी थी नेपाल के राजपुरोहित के परिवार से 



नेपालीजी के गीतों की उस दौर में धूम मची हुई थी लेकिन उनकी माली हालत खराब थी। वे चाहते तो नेपाल में उनके लिए सम्मानजनक व्यवस्था हो सकती थी, 


क्योंकि उनकी पत्नी नेपाल के राजपुरोहित के परिवार से ताल्लुक रखती थीं लेकिन उन्होंने बेतिया में ही रहने का निश्चय किया।


'मजदूर' के लिए नेपाली ने   लिखे गीत

वर्ष 1944 में मुंबई में उनकी मुलाकात फिल्मीस्तान के मालिक सेठ तुलाराम जालान से हुई जिन्होंने नेपाली को 200 रुपए प्रतिमाह पर गीतकार के रूप में 4 साल के लिए 





यह कहानी चीन के एक ऐसे उद्योगपति की है जिसने जीवन में मिली असफलताओं को सीढ़ी बनाकर कामयाबी की बुलंदी हासिल की। हम बात कर रहे हैं 


अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा की। कभी एक मामूली-सी नौकरी की तलाश में जुटे जैक मा की गिनती आज चीन के ही नहीं बल्कि दुनिया के अमीरों में होती है। जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।


आमदनी का नहीं था कोई जरिया 

जैक मा का जन्म 10 सितम्बर 1964 को चीन के हांगजोऊ में हुआ था। उनके माता-पिता के पास आमदनी का कोई ठोस जरिया नहीं था। वे पारंपरिक नाटक और कहानियां सुनाने का काम करते थे। चीन में मंदारिन भाषा बोली जाती है और 


जैक की युवावस्था के दौर में अंग्रेजी को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी। तभी उनमें अंग्रेजी को लेकर लगाव पैदा हुआ। अंग्रेजी सीखने के लिए वे अपने घर से काफी दूर उन होटलों की ओर चले जाते थे, जहां विदेशी पर्यटक ठहरते थे। वे वहा उनसे टूटी-फूटी अंग्रेजी में बातचीत की कोशिश करते।

 हाॅर्वर्ड यूनिवर्सिटी ने  उन्हें दस बार किया रिजेक्ट 

अंग्रेजी पर पकड़ होने के बाद वे गाइड का काम करने लगे। इससे उन्हें विदेशी संस्कृति, तौर-तरीकों, पसंद-नापसंद और अन्य बातों की जानकारी हुई। उन्होंने करीब 9 साल तक गाइड का ही काम किया। जैक मानते हैं कि इस काम से उन्हें भविष्य में बड़ी मदद मिली। उन्होंने पश्चिमी तकनीक और तरीकों को करीब से जाना।


अब बात करते हैं जैक के विद्यार्थी जीवन की। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि स्कूली दिनों में जैक पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे। वे पांचवीं कक्षा में दो बार फेल हो गए थे। यही नहीं वे आठवीं कक्षा में तीन बार फेल हुए। यूनिवर्सिटी की 


प्रवेश परीक्षा में भी तीन बार फेल हुए। हाॅर्वर्ड यूनिवर्सिटी ने तो उन्हें दस बार रिजेक्ट किया लेकिन जैक ने हार नहीं मानी। हर असफलता से सीखते गए और निराश नहीं हुए।

ढीला-ढाला देखकर किया रिजेक्ट 

जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा। जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन


हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जैक मा सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन ढीला-ढाला देखकर उन्हें साफ मना कर दिया।

24 लोगो में केवल उनका नहीं हुआ चयन 

एक बार केएफसी ने उनके शहर में नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली। इसके लिए कुल 24 लोगों ने आवेदन किया। जैक भी उनमें से एक थे। 


बाद में पता चला कि कंपनी ने उनमें से 23 लोगों का चयन कर लिया। सिर्फ जैक को रिजेक्ट कर दिया गया। सोचिए, उस वक्त उन्हें कैसा लगा होगा!

इन्टरनेट की तरफ बढ़ा खिचाव 

जैक इंटरनेट की दुनिया में बिजनेस करने से पहले एक ट्रांसलेशन कंपनी चलाते थे। 1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना। जिसके बाद वे अमेरिका गए और वहां उन्होंने इंटरनेट देखा और उन्होंने सबसे पहला शब्द इंटरनेट पर 


Beer (भालू) टाइप किया। उनके सामने कई देशों के बीयर ऑप्शन दिखे लेकिन चाइनीज बीयर नहीं दिखा। अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौंक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी।


 अपने देश की जानकारी इंटरनेट पर ना होने से जैक को काफी दुखी हुई। क्योंकि इससे उन्हें लग गया था कि चीन तकनीकी क्षेत्र में अन्य देशो से काफी पीछे है।


चीन की जानकारी देने वाली  वेबसाइट “अग्ली” बनाई

इसी वजह से उन्होंने अपने दोस्तो के साथ मिलकर चीन की जानकारी देने वाली पहली वेबसाइट “अग्ली” (Ugly) बनाई। इस वेबसाइट के बनाने के महज पांच घंटो के अंदर उन्हें कुछ चीनी लोगो के ईमेल आये जो जैक के बारे में जानना चाहते थे।


 तब जैक मा को एहसास हुआ कि इन्टरनेट से बहुत कुछ किया जा सकता।

अपनी बहन से भी  पैसे उधार लेना पड़ा 


1995 में जैक मा ,उनकी पत्नी और दोस्तों ने मिलकर 20,000 डॉलर इखट्टे किये और एक कम्पनी की शुरुवात की। इस कम्पनी का मुख्य काम था दुसरी कंपनियों के लिए वेबसाइट बनाना।


 उन्होंने अपनी कम्पनी का नाम “चयना येल्लो पेजस” (China Yellow Pages) रखा था। इस कंपनी को शुरू करने के लिए जैक ने अपनी बहन से पैसे उधार लिए थे। लेकिन यह कंपनी फेल हो गई। इसके बाद उन्होंने चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री में काम किया जिसमे वे अध्यक्ष पद मे थे। कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़ दी, जिसके बाद वे 


अपने घर हैंग्जू चले गए और जहा उन्होंने अपने 17 दोस्तों के साथ मिलकर अलीबाबा (Alibaba) की शुरुआत की।

अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ


अलीबाबा कंपनी की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि इस कंपनी ने अपना आईपीओ 4080 रुपए (68 डॉलर) पर पेश किया था और मार्केट खत्म होने पर इसकी कीमत 5711 रुपए (93.89 डॉलर) हो गई थी. इसे 


अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बताया जा रहा है। उनकी निजी संपत्ति की कीमत करीब 130800 करोड़ रुपए है।

 eBay के  प्रस्ताव ठुकराया 


ग्लोबल इ कॉमर्स सिस्टम  को सुधारन के लिए 2003 में जैक मा ने Taobao Marketplace की स्थापना की। जिसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए eBay ने इसे खरीदने का ऑफर दिया। लेकिन जैक मा ने eBay का प्रस्ताव ठुकरा दिया और इसकी बजाय उसने याहू (Yahoo) के को-फाउंडर जेरी से 1 बिलियन डॉलर की सहायता ली।


 अलीबाबा कंपनी के शुरुआती दिनों में सिर्फ 18 लोग काम करते थे और अभी करीब 22 हजार लोग काम करते हैं।अलीबाबा.कॉम (Alibaba.com) के नाम से मशहूर यह कंपनी दुनिया भर के 190 कंपनियों से जुड़ी हुई है। अलीबाबा.



कॉम वेबसाइट के अलावा तओबाओ.कॉम (Taobao.com) चलाती है जो चीन की सबसे बड़ी शॉपिंग वेबसाइट है। इसके अलावे चीन की बड़ी जनसंख्या को इनकी वेबसाइट तमल्ल.कॉम (Tmall.com) ब्रांडेड चीजें मुहैया कराती हैं।यही नहीं, 


चीन में ट्विटर जैसी सोशल मीडिया सिना वाइबो (Sina Weibo) में भी इस कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी है। इसके साथ ही यूट्यूब जैसी वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यौकू टुद्ौऊ (Youku Tudou) में भी इसकी अहम हिस्सेदारी है। ये कंपनियां मार्केटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और लोजिस्ट सेवाएं देती हैं। 

निजी जीवन (विवाह)


जैक मा ने जेंगयिंग (Zhang Ying) से शादी की थी और उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री है। जैक अपनी पत्नी से पहली बार तब मिले जब वो Hangzhou Normal University में पढ़ रहे थे। स्नातक होने के बाद तुरंत 1980 के दशक में 


दोनों ने शादी कर ली और दोनों ने ही अध्यापक का काम शूरू कर दिया था जैक के बारे में उनकी पत्नी जैंग यिंग का मानना है ‘जैक हैंडसम नहीं है, लेकिन मुझे उनसे इसलिए प्यार हो गया, क्योंकि वे ऐसे कई काम कर सकते हैं जो हैंडसम पुरुष भी नहीं कर सकते’।

जैक मा के अनमोल विचार

आपको अपने प्रतिद्वंद्वी से सीखना चाहिए, लेकिन कभी उसकी नकल न करें। अगर नकल की तो समझें कि आप खत्म हो गए।


सरकार के साथ कभी भी कारोबार मत करो। उसके साथ प्यार करो लेकिन शादी कभी मत करो।


कभी हार न मानो। आज का दिन कठिन है, कल और भी बदतर होगा, लेकिन परसों सुनहरी धूप खिलेगी।


युवा लोगों की मदद करो। छोटे लोगों की मदद करो। क्योंकि छोटे लोग बड़े होंगे। युवाओं के दिमाग में वो बीज होगा जो आप उनमे बोयेंगे, और जब वे बड़े होंगे, वे दुनिया बदल देंगे।


आपको आपके साथ सही लोग चाहिए होते हैं, सबसे अच्छे लोग नहीं


इससे फर्क नहीं पड़ता कि पीछा कितना कठिन है, आपके पास हमेशा वो सपना होना चाहिए जो आपने पहले दिन देखा था। वो आपको प्रेरित रखेगा और (किसी कमजोर विचार से ) आपको बचाएगा


हमारे पास कभी भी पैसों की कमी नहीं होती। हमारे पास कमी होती है सपने देखने वाले लोगों की, जो अपने सपनो के लिए मर सकें




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